भ्रष्टाचार की शिकायत पर D.M ने कानूनगो को वापस लेखपाल बना दिया.
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। सदर तहसील के कानूगो अरुण द्विवेदी को उनकी अवैध संपत्तियों के खुलासे के बाद पद से हटा दिया गया है। जिला प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें कानूगो के पद से डिमोट कर लेखपाल बना दिया है। विभागीय जांच के दौरान उनकी 41 अवैध संपत्तियों का पता चला, जिनकी अनुमानित कीमत करोड़ों रुपये बताई जा रही है। ये संपत्तियां कानपुर और आसपास के जिलों में फैली हुई हैं, जिनमें प्लॉट, फ्लैट और व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, द्विवेदी ने अपने पद का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेजों के जरिए ये संपत्तियां अर्जित की थीं। एक मामले में उन्होंने एक वकील की पांच करोड़ रुपये कीमत की जमीन पर गलत नामांतरण करवाया था, जिसमें लेखपाल की भी मिलीभगत सामने आई। इस धोखाधड़ी ने न केवल पीड़ितों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि राजस्व अभिलेखों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए।जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई की। उन्होंने कहा, "राजस्व विभाग में पारदर्शिता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।" डीएम के आदेश पर द्विवेदी को तुरंत कानूगो पद से हटाकर लेखपाल के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया। साथ ही, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। लोकायुक्त और सतर्कता विभाग को भी इसकी जांच सौंपी गई है। मार्च 2025 में भी एक समान मामले में कानूगो आलोक दुबे और लेखपाल अरुणा द्विवेदी को निलंबित किया गया था, जब उन्होंने फर्जी दस्तावेजों से जमीन हड़पी थी।