यूपी दंगा: तौकीर की ज़हरीली तकरीर पर चल रहा योगी का बुलडोजर!।Don News Express

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  यूपी दंगा: तौकीर की ज़हरीली तकरीर पर चल रहा योगी का बुलडोजर! 

कैलाश सिंह-(राजनीतिक संपादक)

-आदिकाल से 'नाथनगरी बरेली' में कथित खानकाहे नियाजिया का मरकज़ देश विभाजन के समय की देन, इसी मरकज़ के नाम पर मौलाना तौकीर बन बैठा वोटों का सौदागर:स्वामी चिन्मयानंद

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लखनऊ/ शाहजजहाँपुर/ बरेली, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l बीते महीने की 26 तारीख यानी आखिरी जुमे की नमाज़ और चल रहे नवरात्र व दुर्गा पूजा के मद्देनज़र यूं तो देशभर के खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों को संवेदनशील मानकर सुरक्षा व्यवस्था सख़्त थी, लेकिन यूपी में कानपुर की घटना के बाद बरेली जैसे शहरों में अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ा दी गई थीl ऐसा नहीं था की बरेली का पुलिस प्रशासन कथित मौलाना तौकीर रजा की खुराफात से अनभिज्ञ था, शासन की सख़्त हिदायत थी कि किसी को नमाज़ या इबादत से न रोका जाए, लेकिन किसी प्रदर्शन की इजाज़त भी न दी जाएl जबकि तौकीर ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ार्मो के जरिये बरेली मंडल ही नहीं, देश के कई क्षेत्रों जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल से भी उपद्रवियों को बुला रखे थे, जिनका खुलासा बरेली की पुलिस अब करती जा रही हैl उसकी जहरीली तकरीर के वीडियो से पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि उनका मंसूबा 'देश- प्रदेश में बड़ी तब्दीली करनी है तो मैदान में आना ही पड़ेगा जैसा थाl' युवा आंदोलन वाला रूप देने के चक्कर में नाबालिगों और बच्चों के आने और पुलिस पर पत्थरबाज़ी ने इस कथित आंदोलन को उपद्रव में तब्दील कर दियाl

दरअसल आज यूपी पुलिस के लिए प्रदेश में यदि 'आई लव यू पुलिस' जैसे स्लोगन गूंज रहे हैं तो उसका श्रेय भी बरेली के उन्हीं अफसरों को जाता है, जिन्होंने नमाज़ियों को नहीं रोका, लेकिन इस्लामिया ग्राउंड के रास्ते पर बैरियर लगा रखा था,पलटती भीड़ को रोका तो उन्हें हुजूम के धक्कों के साथ पत्थर भी मिलने लगे फ़िर धैर्य टूटा और पुलिस ने लाठी चार्ज कियाl बाकी काम तो सीएम योगी से मिली छूट ने कर दिएl अब ज़हरीली तकरीर करने वाले तौकीर रजा समेत लगभग सात दर्जन उपद्रवी जेल पहुँच चुके हैं और बाकी तलाशे जा रहे हैंl उनकी अवैध और बेनामी सम्पत्तियों पर योगी का बुलडोजर गरज रहा हैl पुलिस की पकड़ में आये कथित उपद्रवी खुद को विक्टिम (पीड़ित) दिखाकर माफ़ी मांग रहे हैंl टीवी चैनलों पर अपनी बात रखने के नाम पर राजनीतिक नुमाइंदे और धर्म गुरुओं- मौलानाओं और पदाधिकारियों के झगड़े से दर्शक भी उबने लगे हैंl सबकी जिज्ञासा बरेली में चल रही शासन- प्रशासन की 'कार्यवाही और कार्रवाई' एवं योगी आदित्यनाथ के ताज़ा बयानों की तरफ़ हर समय लगी हैl 

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मरकज़ के बहाने जाहिलों को

जेहादी बनाते हैं तौकीर जैसे मौलाना:- शाहजहाँपुर के मुमुक्षु आश्रम के पीठाधीश्वर एवं देश के पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मन्त्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती पड़ोसी जनपद बरेली को आदिकाल से नाथ संप्रदाय का केन्द्र और शिव भक्तों की नगरी मानते हैंl वह कहते हैं कि स्वाधीनता से एक साल पूर्व जब देश में विभाजन को लेकर बहस चल रही थी, तब एक तरह से जनमत संग्रह जैसे उपाय भी आपनाए गए थेl उस दौरान मुगलकाल के अंतिम चरण में बरेली और आसपास के क्षेत्रों में बसे खासकर सुन्नी मुसलमानों ने जिन्ना और पाकिस्तान का समर्थन किया था लेकिन पाकिस्तान जाने की बेला में इनकार किया और यहीं रुक गएl इसके बाद पूर्व में बनी दरगाहों और मरकजों के नाम पर वक़्फ़ के जरिए जमीनों पर कब्जा करके बच्चों को धार्मिक शिक्षा देकर आधुनिक शिक्षा से वंचित करने लगेl इस तरह आठ दशक में 'नाथ नगरी बरेली' में खानकाहे नियाजिया का वर्चस्व बढ़ा और फ़िर बरेलवी- देवबन्दी में 'फिरकों और फतवों' की टकराहट दिखने लगीl रहा सवाल कथित मौलाना तौकीर रजा का तो इसके साथ मुट्ठी भर लोगों की जमात है जो उपद्रवी हैl इसने अन्य नेताओं की तरह योगी आदित्यनाथ को हल्के में लिया और भारत में मोदी के तख्ता पलट के मंसूबे पालकर यूपी के बरेली को कुरु क्षेत्र बनाने को उपद्रव करा दिया और फंस गयाl अब यह जिंदगी में दंगे के स्वप्न देखकर भी घबराएगाl

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ढाई दशक पूर्व लुप्त हो गया पहाड़ी खिचड़ी मेला:-ढाई दशक पूर्व सन् दो हजार के शुरुआती दौर में पहाड़ आज के (उत्तराखंड) के बाशिंदों के पलायन से हिंदू त्योहारों ने भी दम तोड़ना शुरु कर दिया थाl वर्ष 1998 में मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले खिचड़ी मेले में पहाड़ी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने का सौभाग्य मुझे भी मिला था, तब मैं 'दैनिक आज' बरेली में पोस्टेड थाl इसके बाद मेरी पोस्टिंग दूसरे अखबार में तब के इलाहाबाद और आज के प्रयागराज में हो गई थी, लेकिन बीच- बीच में बरेली जाते रहने के दौरान पता चला कि उस मेले का उठान हो चुका हैl वर्ष 2010 में हुए दंगे में लहराती नंगी तलवारों और तौकीर की ज़हरीली तकरीर से पैदा हुए उन्माद में 'राजनीतिक रसायन' की मिलावट देख दंग रह गयाl यही वह दौर था जब मौलाना तौकीर अपनी ज़हरीली तकरीर  से जेहादियों को दंगे में झोंककर वोटों का परिपक्व सौदागर बन चुका थाl भाजपा को छोड़ अधिकतर राजनीतिक दलों से वह 'पावर और सीट'  का सौदा करता था, जिसके आगे तत्कालीन शासन भी नतमस्तक थाl


निष्कर्ष- राजनीतिक विश्लेषक एस पाण्डे मानते हैं कि विभिन्न कथित राजनीतिक दलों ने मुस्लिमों वोट बैंक को बड़ा मानकर तुष्टिकरण के जरिए उनका इस्तेमाल अपने फ़ायदे के लिये किया और हिंदू- मुस्लिम के बीच खाईं बढ़ाते गएl इसका फायदा वोटों के ठेकेदार बने मौलानाओं को भी मिलाl यह सच है कि उन्होंने बदलते भारत में बदल चुके उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को हल्के में लिया, सोचा जब आठ साल में हमारा बाल बांका नहीं हुआ तो अब क्या होगाl अब तो चुनाव नजदीक है और हमारे साथ पूरा इंडी एलायंस हैl यह भूल नवरात्र में तब और भारी पड़ गई जब सरकार किसी भी उपद्रव के मद्देनज़र पहले से सतर्क थीl अब तो बुलडोजर के जरिए उपद्रवियों और उनके शरण दाताओं की रीढ़ टूटने से इनकार नहीं किया जा सकता हैl,,,,,, क्रमशः. 

    कैलाश सिंह-(राजनीतिक संपादक)

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