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 उत्तर पुस्तिका पर लिखे धार्मिक नारे और हो गये अच्छे अंक से पास

पीयू के फार्मेसी विभाग का उजागर हुआ कारनामा

कुलपति ने आरोपी दो शिक्षकों को किया बर्खास्त



जनसूचना से मांगी गई उत्तर पुस्तिका तो मामले का हुआ खुलासा

राजभवन के आदेश पर दुबारा मूल्यांकन में छात्र हुए फेल

जौनपुर। अगर आप पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र हैं और किसी भी कक्षा में हैं चाहे मेडिकल में हों या फिर इंजीनियरिंग में आपको अब पढ़ने लिखने की जरूरत नहीं है बस कापी में धार्मिक नारे और कुछ क्रिकेटरों के लिख दें नाम आपका हो जायेगा काम। वोह भी ऐसे वैसे नहीं लगभग 60 प्रतिशत अंक के साथ आप उत्तीर्ण कर दिये जायेगें। पूर्वांचल विश्वविद्यालय में ऐसे ही एक मामला प्रकाश में आने के बाद जहां विश्वविद्यालय में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है वहीं अब लोग यह भी कहते हुए सुने जा रहे हैं कि धर्म का रंग अब शिक्षा पर भी हावी हो रहा है। आने वाले समय में अगर हालात ऐसे ही रहे तो इस देश का भविष्य कितना सुनहरा होगा इसपर मंथन करने की जरूरत है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले के प्रकाश में आने के बाद आनन फानन में कुलपति की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर आरोपी शिक्षकों को बरखास्त कर दिया गया है लेकिन इस कृत्य ने शिक्षकों की बदलती मानसिकता और हावी होते धार्मिक प्रभाव को भी उजागर कर दिया है। हलांकि आनन फानन में दुबारा मूल्यांकन कर उन्हें फेल भी कर दिया गया है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह शिक्षा के भविष्य के लिए अच्छा संकेत माना जा सकता है। गौरतलब हो कि छात्र नेता दिव्यांशु सिंह ने गत दिवस प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के साथ पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों की मिलीभगत से शून्य अंक पाने वाले छात्रों को भी लगभग 60 फीसद अंको के साथ पास कर दिया गया है। मामले के संज्ञान में आने के बाद राजभवन के आउदेश पर जब छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का दुबारा मूल्यांकन कराया गया तो उन्हें शून्य अंक प्राप्त हुए लेकिन इसके पीछे की जो कहानी थी उसे इससे पहले कि दबाया जाता उद्देश्य सिंह के द्वारा जनसूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उक्त छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं मांग ली गर्इं। मजबूर होकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जब उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराईं गई तो वे अवाक रह गये। फार्मेसी के छात्रों द्वारा प्रश्नों के उत्तर के बजाय पूरी कापी में धार्मिक नारे और देश के कुछ खिलाड़ियों के नाम ही लिखे गये थे। लेकिन ऐसा करने वाले उक्त मेडिकल के छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं पर लगभग साठ फीसदी अंक दिये गये थे। जिसके बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया। इधर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बुधवार क ो आनन फानन में कुलपति प्रो वंदना सिंह की अध्यक्षता में बैठक कांफ्रेस हाल में ऑनलाइन एवं आफलाइन आयोजित हुई और फार्मेसी संस्थान में तैनात संविदा शिक्षक डॉ.विनय वर्मा व डॉ.आशीष गुप्ता को तत्काल बर्खास्त कर दिया गया। छात्र नेताओं का आरोप है कि सत्र 2021-22 के डी फार्मा छात्रों को भी कई बार मानक के विपरीत बैक व स्पेशल बैक परीक्षा में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई थी। जबकि परीक्षा नियंत्रक की टिप्पणी में है कि डी फार्मा में बैक परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान ही नहीं है। इस घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय की छवि को न सिर्फ धूमिल किया है बल्कि शिक्षा पर भी हावी हो रहे धार्मिक प्रभाव को उजागर किया है। सवाल यह उठता है कि जब शिक्षा मंदिर में इस तरीके की भावनाओं से ग्रसित लोगों का प्रवेश हो जायेगा तो मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी शिक्षा का अंजाम क्या होगा।

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