प्रयागराज महाकुंभ 2025: आंकड़ा का मोहरा बने तीर्थयात्री और वीआईपी के लिए पर्यटन का इंतज़ाम!
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-जल क्रीड़ा से तीर्थराज प्रायाग की भंग हुई मर्यादा, महाकुंभ को पर्यटन स्थल का रूप देने को सत्ता का ग्लैमर बनाना उचित नहीं, यहां बग़ैर निमंत्रण के सदियों से आते रहे हैं तीर्थ यात्री, नौकरशाही ने मृतकों का आंकड़ा ही नहीं, सीएम से बहुत कुछ छिपाया: स्वामी चिन्मयानंद
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कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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प्रयागराज, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l किसी भी तीर्थस्थल पर जल क्रीड़ा वर्जित है और तीर्थराज प्रयाग में तो बिल्कुल नहीं, 2025 के इस महाकुंभ का शुभ मुहूर्त 144 साल बाद आया, इसमें अमृत स्नान के लिए तीन पीढ़ियों के लोग एक साथ आये l त्रिवेणी का संगम वह स्थान है जहां 'गंगा- यमुना और अदृश्य सरस्वती का एकाकार' होता है, जहां तक जल क्रीड़ा का सवाल है? इसके बारे में पौराणिक ग्रंथों में जिक्र मिलता है, एक बार 'गज' को गंगा में जल क्रीड़ा करते देख दुर्वाशा ऋषि ने श्राप दिया था, क्योंकि तीर्थ स्थल पर ईश्वर को पवित्र जल का अर्ध्य दिया जाता है l
इस बार प्रयागराज के महाकुंभ में सत्ता के ग्लैमर को दिखाने और इस तीर्थ को पर्यटन स्थल बनाने के फेर में उत्तर प्रदेश की नौकरशाही ने गोरक्ष पीठाधीश्वर एव्ं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सच के करीब नहीं आने दियाl महाकुंभ में तीर्थ यात्रियों का इस्तेमाल केवल आंकड़े के लिए किया जाने लगा और इंतज़ाम वीआईपी के लिए हुआ l मीडिया ने भी अब तक कल्पवासियों की खोज- खबर नहीं लीl नौकरशाहों की सलाह पर ही वीआईपी, वीवीआईपी को निमंत्रण कार्ड भेजे गए जो कभी नहीं होता रहा और न तो होना चाहिएl यह बात पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने समाचार पत्र 'तहलका संवाद' व 'तहलका 24x7 न्यूज' से हुई खास बातचीत में कहीl
बीते चार दशक से प्रयागराज के कुम्भ, अर्ध कुम्भ और महाकुंभ में अनवरत प्रवास करने वाले स्वामी चिन्मयानंद इस बार की व्यवस्था देख सशंकित थे, जिसका उन्हें मकर संक्रांति के पवित्र स्नान पर डर था, वही मौनी अमावस्या पर हुआl दरअसल जिन नौकरशाहों की सलाह थी उन्हीं पर व्यवस्था की जिम्मेदारी थीl वह इसके लिए नये थे, घटना के बाद पुराने अनुभवी अफसरों को बुलाया गयाl जिनके लिए व्यवस्था हुई थी वह आमन्त्रित वीआईपी रहे और जो तीर्थयात्री सदियों से बग़ैर अमन्त्रण के आते हैं उन्हें एक ही मार्ग से आने और जाने का रास्ता दिया गया, बाकी सभी रास्तों और पान्टून पुलों को बन्द रखा गया l वीआईपी की सेवा के लिए तत्पर नौकरशाहों ने आम तीर्थ यात्रियों का इस्तेमाल केवल आंकड़े के लिए किया l जब उन्होंने मौनी अमावस्या पर दस करोड़ तीर्थ यात्रियों के आने का दावा किया तो उनके आने- जाने के इंतज़ाम को कैसे भुला दिया ? मौनी अमावस्या की भोर में हुआ हादसा भगदड़ नहीं, नौकरशाही की चूक और बद इंतज़ामी का नतीजा था, इसी चूक से 14 जनवरी को एक ही रास्ते पर निर्वाणी और जूना अखाड़ा के संत शाही स्नान को आते- जाते समय आमने- सामने हो गए थेl इनकी संख्या तो कम थी लेकिन लाखों- करोड़ों तीर्थ यात्रियों के लिए आने- जाने को एक ही रास्ता देना किस तरह वाजिब था?
स्वामी चिन्मयानंद विज्ञान का हवाला देकर कहते हैं कि जन समूह को रोकने की बजाय उन्हें चलते रहने को रास्ता देना चाहिएl जिस तरह पानी रोकने पर सैलाब आता है उसी तरह भीड़ रुकती है तो लोगों का धैर्य टूटता है, तब वही भीड़ जन समन्दर में तब्दील हो जाती है, वही मौनी अमावस्या को हुआ l लोग आगे बढ़ने को रास्ता खोजने लगे और सोये हुए तीर्थ यात्रियों व कल्पवासियों को रौंदते हुए निकलने लगे l इसी दौरान अखाड़े वाले बैरियर को भीड़ ने तोड़ दियाl नौकरशाहों ने मृतकों का जो आंकड़ा 25- 30 दिया उसे बिल्कुल सही नहीं माना जा सकता है लेकिन परवाज़ करती अफवाहों के आंकड़े भी सिर के ऊपर से गुजर रहे हैं l घटना दुखद है, इसे लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ भी मर्माहत हैं l हर बार साधु- संतों और अखाड़े के साथ मिलकर व्यवस्थापक योजना बनाते थे, लेकिन इस बार वीआईपी कल्चर, ग्लैमर और तीर्थ को पर्यटन का रूप देने की कोशिश में तीर्थराज महाकुंभ की मर्यादा भंग हुई है l दशकों पूर्व एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय ने सनातन संस्कृति का जिक्र करते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से कहा था कि प्रयागराज के महाकुंभ में आने वाले तीर्थ यात्रियों की भीड़ जुटाई गई अथवा निमंत्रण वाली नहीं हैl यह तो आस्था के महाकुंभ का जन समूह है जो परम्परा को जीवित रखे हैl
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मीडिया में दिये बयान को उचित ठहराते हुए स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि इस पीठ पर दो शंकराचार्य ' स्वरूपानंद गुट के अविमुक्तेश्वरानंद हैंl इनके खिलाफ बसुदेवानंद गुट के लोग हैं l इस पीठ के शंकराचार्य का मामला कोर्ट में है, लेकिन महाकुंभ में हुई बड़ी घटना को ज्योतिर्मठ के विवाद से अलग रखकर देखना चाहिए l विगत 12 जनवरी से 20 जनवरी तक लगातार महाकुंभ में मौजूदगी के दौरान स्वामी चिन्मयानंद के कैम्प में बिजली कनेक्शन नहीं मिल सका था, समूचा मेला प्रशासन वीआईपी टेंट सिटी को सजाने, संवारने में जुटा था l सामान्य तीर्थ यात्रियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया l वैसे भी वह किसी व्यवस्था की उम्मीद की बजाय आस्था के वशीभूत होकर महाकुंभ में आते हैं लेकिन रास्ते की रुकावट ने उनके धैर्य का बांध तोड़ दिया l
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