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 'योगी राज' में भी एक अफ़सर नेता के नाम पर करता रहा मनमानी पर निकल गई हेकड़ी! 


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जौनपुर के डीएम डॉ दिनेश चंद्र ने एक मातहत को 'पुनरमुश्को भव' कर दिया, वह जहां से उठा था उसे वहीं पहुंचा दियाl हालांकि उसने एक माननीय का हवाला देकर अर्दब में लेने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हो पायाl

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कैलाश सिंह-

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जौनपुर/ लखनऊ, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l जौनपुर के जिस अफ़सर की हम बात करने जा रहे हैं उसके लिए एक किंवदंती को जानना जरूरी हैl एक मन्दिर परिसर में राम कथा चल रही थी, वहां रोज दर्जनों महिला - पुरुष कथा श्रवण को आते थे लेकिन अधिकतर लोग अपनी निजी बातों में उलझे रहते थेl केवल एक चूहा अपने दोनों पैर उठाकर     कथा वाचक के उठने के बाद जाता था, पंडित जी उसे असली राम भक्त समझकर अपने तप के बलपर 'चूहा से इंसान' बना दियाl अब वह कोने से उठकर सबके बीच में बैठने लगाl  कथा समापन के बाद भी वह दोनों हाथ अपने मुंह से लगाए रखा और उसके दांत बज रहे थे, तब पंडित जी ने कहा बच्चा जाओ कल फ़िर आना, लेकिन वह अपनी आदत के अनुसार चना खाता रहा और उनकी बात नहीं सुना, तब माजरा समझकर पंडित जी ने उसे 'पुनर्मूमुश्को भव' का श्राप देकर वरदान वापस ले लियाl वह फ़िर से चूहा बन गयाl कुछ ऐसा ही मामला जौनपुर के प्रशासनिक अमले में फेरबदल के दौरान हुआl

दरअसल एसडीएम सदर पवन कुमार को डीएम डॉ दिनेश चंद्र ने न्यायिक मजिस्ट्रेट का चार्ज देकर मछलीशहर तहसील पर भेज दिया l डबल रोल निभाने वाले उनके मातहत स्टेनो/ पेशकार अखिलेंद्र सिंह को भी अभिलेखागार में भेज दियाl किसी भी 'आईएएस अथवा आईपीएस' की बेहतरीन कार्यशैली और आमजन के प्रति उसके व्यवहार का पता केवल एक घटना से चल जाता है, फ़िर यही वाकया आमजन के बीच पहुंचकर लोगों के लिए भरोसे की शक्ल ले लेता हैl इसके बाद हर आम आदमी उस अफ़सर को संकट मोचक मानकर बेझिझक उसके पास पहुँचकर अपनी पीड़ा सुना देता हैl याद रखिए ऐसे अफ़सर के पास वीआईपी कल्चर अथवा समाज के सक्षम लोगों के लिए कार्य दिवस में वक्त नहीं होता है, शायद इसी कारण कलेक्ट्रेट के अधिवक्ताओं का विरोध जौनपुर के डीएम डॉ दिनेश चंद्र झेल रहे हैंl हालांकि सिविल कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता श्रीकांत श्रीवास्तव कहते हैं कि डीएम दिनेश चंद्र लंबित कार्य जल्दी निबटाने में विश्वास रखते हैं, उनका सहयोगी व्यवहार तो सभी को कायल कर देता हैl

अब एसडीएम सदर से तबादला होकर मछलीशहर के न्यायिक मजिस्ट्रेट बने पवन कुमार के कारनामों की झलकियाँ जानिए- यह केराकत में तहलीलदार के पद से प्रमोट होकर वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट हो गए थे l वहां इनके कार्य कितने पारदर्शी थे ये तो उस क्षेत्र के लोग बताते नहीं थकते, लेकिन जिला मुख्यालय पर एसडीएम सदर और न्यायिक  मजिस्ट्रेट का कार्य भार तत्कालीन डीएम रहे मनीष वर्मा ने इन्हें दिया थाl जब इन्हें दोनों चार्ज मिला तो वह अपने स्टेनों अखिलेंद्र सिंह को पेशाकार का भी चार्ज दे दियेl इस तरह दोनों डबल चार्ज में आ गए तो  वाद- विवाद बढ़ने लगे और चांदी कटने लगी l इसके बाद हमजातीय कोर्ट रोज शाम छः बजे से रात नौ बजे तक कलेक्ट्रेट परिसर में चलने लगीl

जब भ्रस्टाचार की शिकायतें बढ़ने लगीं तब डीएम डॉ दिनेश चंद्र ने कडाई शुरू कर दी, इसके बाद इस अफ़सर के पक्ष में प्रदेश के एक माननीय मंत्री वाया फोन नमूदार हुए लेकिन डीएम नहीं डिगे और इस अफ़सर को मछलीशहर एव्ं इनके मातहत को अभिलेखागार भेज दिये l

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