इंसानी स्लाटर हाऊस बने नर्सिंगहोम्स के मानक में भी खेल!
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-सवालों पर सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह के बयान: क्लीनिक में केवल ओपीडी की अनुमति, नर्सिंगहोम के लिए ऑपरेशन थियेटर व सर्जन, मेडिकल स्टोर में फर्मसिस्ट, जांच केंद्र में पैथालॉजिस्ट, फायर एनओसी के लिए गाड़ी घूमने को स्थान, आवासीय परिसर से बाहर होना आवश्यक, ट्रामा सेंटर अथवा मल्टी स्पेशियलिटी के लिए केवल डॉक्टरों के पैनल की फर्जी लिस्ट नहीं बल्कि उनकी मौजूदगी जरूरीl
-तीन अप्रैल को जौनपुर के जिस निजी अस्पताल में भर्ती हादसे के शिकार युवक शुभम निषाद की मौत को लेकर हंगामा हुआ था उस मामले में डीएम के निर्देश पर सीएमओ ने जांच टीम गठित की है, यदि आरोपी अस्पताल सील हुआ तो समझिए कि पीड़ित परिजनों को न्याय मिला अन्यथा लीपापोती हो गई!
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कैलाश सिंह-
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जौनपुर/लखनऊ'(तहलका न्यूज नेटवर्क)l कानून व्यवस्था को लेकर जिस तरह योगी आदित्यनाथ की सरकार संवेदनशील है, उसी तर्ज पर शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर सरकार से ईमानदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती है, क्योंकि सीएम की ईमानदारी बेदाग है पर अन्य मन्त्रियों और नौकरशाहों पर आमजन को बिल्कुल भरोसा नहीं हैl इसका भी कारण है, लोगों को अपना कोई भी कार्य कराने को पैसा देना ही पड़ता हैl जिस तरह त्वरित पुलिस सेवा के लिए 112 नम्बर पर शुल्क देना पड़ता है, उसी तरह स्वास्थ्य विभाग की टीम एक पक्ष से पैसा लेकर पीड़ित पक्ष को समझौते के लिए तैयार कर लेती हैl यदि ऐसा न होता तो निजी अस्पतालों में अलग से एमआरपी वाली दवा न बिकतीl
इसी तरह बेसिक शिक्षा विभाग का तो भगवान ही मालिक हैl शहर में एक ऐसा फर्जी पत्रकार है जो पुरोहित गैंग चलाता है l खुद शिक्षक है पर स्कूल नहीं जाता हैl जरूरत पर इस गैंग के मेंबर पूजा- पाठ कर लेते हैं, लेकिन इनका मुख्य धंधा सैंडविच मसाज पार्लर हैl इसका लीडर शिक्षा अधिकारियों को अर्दब में लेकर खुद स्कूल नहीं जाता है, इस गैंग के दर्जनों शिक्षक भी यही तरीका अपनाते हैंl लीडर के फ्लैक्स के धंधे में भी बड़ा गोलमाल है जो अगली कड़ियों में मिलेगाl यहां इसका जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि यह पुलिस को 'साटकर' एक उस डॉक्टर के यहां से अपने मसाज पार्लर के लिए 'गरम गोश्त' लाता है जो खुद गलत आचरण के चलते हर हफ्ते अपनी बीवी से पिटता है, वहां से लाये गए गरम गोश्त की सप्लाई वह होटलों में करता हैl
दिलचस्प तो ये है कि गोरखपुर- प्रयागराज हाईवे पर मैहर मन्दिर के निकट इस नर्सिंगहोम में सबकुछ मानक के विपरीत हैl 'अस्पताल में आवास है या आवास में अस्पताल है', इसका अंतर आज तक स्वास्थ्य विभाग नहीं खोज सका हैl इसके यहां प्रशिक्षित स्टाफ तो दूर कोई ग्रेजुएट भी नहीं मिलेगाl इस डॉक्टर को नेतागिरी का भी चस्का है, इसी कमजोरी के जरिये पुरोहित गैंग का लीडर इसका आर्थिक मुंडन 'लक्ष्मी पुत्र' सरीखे करता हैl इसके और कारनामे अगले एपिशोड मेंl इसी तरह जौनपुर में एक ऐसा डॉक्टर जो है तो फीजिशीयन लेकिन इलाज करता है हृदय रोग का, इन दिनों यह फीस पांच सौ रुपये अपने नाम पर ले रहा है लेकिन उसकी कुर्सी पर बैठता है एक प्रशिक्षु चिकित्सक, उसे सामने देख मरीज अपना सिर पीट लेता हैl इसका विस्तृत भी अगली कड़ी मेंl,,,,,,,, क्रमशः
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