महाराष्ट्र के जनादेश ने हिंदुत्व चेतना और सनातन संस्कृति की पुनरस्थापना कर दी
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-उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ के रंग में नज़र आये महाराष्ट्र के भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, उन्होंने संगठन की शक्ति को योगी- मोदी के नारा ' बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे' के ट्रैक पर पार्टी को बनाए रखा l
-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने पांच दर्जन अनुसांगिक संगठनों के हजारों स्वयं सेवकों को महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में उतारकर उनके जरिये आमजन को राष्ट्रवाद का रास्ता दिखाया और सनातन संस्कृति की पुनरस्थापना की नींव रख दी l
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-कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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लखनऊ/मुंबई, (तहलका 24x7 विशेष)l चार जून 2024 को लोकसभा चुनाव के परिणाम ने भारतीय राजनीति के 'जातिवादी जेहाद की मानसिकता वाले चरम के दर्शन कराये थे, लेकिन छः माह यानी 23 नवम्बर को महाराष्ट्र विस चुनाव परिणाम ने इस धारणा( परसेप्शन) को ध्वस्त करके हिंदुत्व की चेतना को जागृत किया और सनातन संस्कृति की पुनरस्थापना कर दी'l हालांकि इसका संकेत हरियाणा विधान सभा चुनाव में ही मिल गया था, लेकिन विपक्षी पार्टी खासकर कांग्रेस नहीं समझ सकी l जबकि भाजपा बड़े सलीके से इसे समझकर अपने पुराने ट्रैक 'राष्ट्रवाद और विकासवाद' पर सवार होकर दो प्रांतों हरियाणा और महाराष्ट्र को फतह कर लिया l
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो देश के दोनों बड़े राजनीतिक दल भाजपा का 'एनडीए' और कांग्रेस का 'इंडी' गठबन्धन अपने ट्रैक यानी भाजपा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद एवं कांग्रेस सेकुलर राजनीति को नहीं छोड़ सकते l भाजपा ने जब भी अपने ट्रैक को छोड़ा तब मात खाई है l कांग्रेस लगातार अपने सहयोगी पार्टियों, मुस्लिम वोटरों के तुष्टिकरण और जातिवाद के मकड़जाल में उलझकर मात खाती जा रही है l यह पार्टी जब जिस प्रदेश में हारती है तब ईवीएम से बेइमानी की तोहमत भाजपा पर मढ़ती रही है, जीतने की स्थिति में अपने गढ़े विमर्श (नेरेटिव) के जरिए खुद के मुद्दे को श्रेय देती रही हैl
दिलचस्प पहलू ये है कि लोकसभा चुनाव के दौरान आरएसएस से दूरी और भाजपा के कार्यकर्ताओं में निराशा के साथ इस दल के नेताओं के आत्मविश्वास ने कमजोर किया जिसका फायदा कांग्रेस और उसके इंडी गठबंधन को उनके गढ़े विमर्श के चलते मिला अन्यथा इस गठबंधन की नींव से ही एकता दूर थीl
बांग्लादेश में पांच अगस्त 2024 को तख्ता पलट के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा वहां की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने देश में सुरक्षित लाना राष्ट्रवाद को मजबूती दे गया और बांग्लादेश में हुए नरसंहार के दौरान हिंदुओं के एकजुट प्रतिरोध के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का मथुरा में दिया गया बयान 'बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक और सुरक्षित रहोगे' ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फ़लक पर हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा के रूप में स्थापित कर दिया l सनातन संस्कृति से जुड़े लोगों के लिए यह वक्तव्य मूल मन्त्र बना जिसे संघ ने अपना लिया और भाजपा के लिए यह स्वतः स्फूर्त नारा तब बना जब पीएम मोदी ने उसमें पूरक वाक्य जोड़ा- 'एक रहोगे तो सेफ रहोगे' और बंटोगे तो कटोगे' से, यही नारा हरियाणा में जीत का मूल आधार बना जिसे महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बड़े सलीके से अपनाकर जातिवाद के मकड़जाल को तोड़कर बड़ी जीत दर्ज कर लीl
महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में 'महायुति और महा विकास अघाडी' में तीन- तीन दल शामिल थे जिसमें दो दल शिवसेना और एनसीपी विभक्त होकर दोनों गठबंधन से आमने- सामने रहे l बावजूद इसके यहां मुद्दा बना योगी- मोदी का संयुक्त नारा l योगी के प्रचार भाषण में यह नारा सबको उलझाए रखा, दलों के नेता 'बंटोगे तो कटोगे' के विश्लेषण में उलझे रहे और भाजपा के साथ संघ के पांच दर्जन अनुसांगिक संगठनों के लोग आमजन के बीच पहुंचकर उनके लिए जातिवाद से हटकर सनातन संस्कृति और हिंदुत्व की एकता का मार्ग दिखा रहे थे, जब नतीजा सामने आया तो महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले नेता शरद पवार ने खुद मान लिया कि हम अति आत्म विश्वास के चलते मात खा गए l
महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव परिणाम ने यह साफ़ कर दिया है कि योगी- मोदी का नारा समूचे भारत में फैल चुका है l विपक्ष के पास इसका कोई जवाब नहीं है l यहीं से जातीय राजनीति भी कमजोर पड़ गईl यह भी संकेत मिल गया कि 'बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ़ रहोगे' वाले नारा का असर आगे आने वाले सभी चुनावों में बढ़ता जाएगा l इसी चुनाव में आये जनादेश ने हिंदुत्व की चेतना को जागृत किया और सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का काम किया है l
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