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 अरविंद केजरीवाल और 'आप' की हालत टाइटेनिक जहाज सरीखी होती जा रही


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इंसान वक़्त से नहीं, अपने कर्मों से पराजित होता है, लोकतंत्र में झूठा विमर्श (नेरेटिव) कुछ समय तक तो चल जाता है, लेकिन जब उसकी कलई उतरती है तब वह आमजन के बीच नग्न हो जाता है, फ़िर उसके प्रति किसी को सहानुभूति नहीं रहतीl यही हश्र दिल्ली के पूर्व मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल का हो रहा है, उनकी 'आम आदमी पार्टी' अब 'टाइटेनिक जहाज' सरीखी नज़र आने लगी है l

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-कैलाश सिंह

राजनीतिक संपादक

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लखनऊ/ नई दिल्ली, (तहलका 24x7 विशेष)l वह कोरोना का दौर था जब समूची दुनिया में त्राहि- त्राहि मची थी, भारत में भी केन्द्र के साथ प्रांतीय सरकारें लोगों की जान बचाने में लगीं थींl देश की राजधानी दिल्ली में भी कोरोना रूपी आपदा ने कोहराम मचाया था, लोग ऑक्सीजन, बेड, दवाओं को लेकर भागमभाग में लगे थेl यही वक़्त था जब दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास का चोला बदलकर उसे 'शीशमहल' का स्वरूप दिया जा रहा था, उसे बनाने में करोड़ों खर्च किए गए,जाहिर है केजरीवाल को भरोसा था कि वही आजीवन मुख्यमन्त्री बने रहेंगे l रजवाड़ों के दौर में 'किलों' को लेकर एकबारगी राजा लोग जरूर सोचते थे ऐसा, लेकिन लोकतांत्रिक सरकार में ऐसी कल्पना भी कोरी साबित होती है और यह हसीन सपने देखने जैसा होता हैl

एक दशक तक अरविंद केजरीवाल का हर शब्द सच मानने को दिल्ली की जनता तैयार रहती थी, लेकिन जब से शराब घोटाले के आरोप में 'आम आदमी पार्टी' के एक- एक नेता जेल जाने लगे तब से उनके प्रति आमजन की सहानुभूति खत्म होने लगी l भारत में केजरीवाल अकेले ऐसे राजनेता हैं जो मुख्यमन्त्री रहते जेल गए हैं l उनकी राजनीतिक पार्टी भी मुकदमे में फंसी नज़र आ रही है, आगामी वर्षों में यदि पार्टी की मान्यता खत्म हो जाए तो कोई हैरत नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह भी इतिहास में एक रिकॉर्ड बनेगाl

अन्ना हज़ारे के आंदोलन से निकली 'आम आदमी पार्टी' को छोड़ने वालों का सिलसिला योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास से शुरू हुआ तो कभी थमा नहीं, लेकिन अब इस पार्टी से वरिष्ठ मन्त्री 'कैलाश गहलोत' के जाने से यह संकेत मिलने लगे हैं कि  यह दल टाइटेनिक और इसके मुखिया उस जहाज के कैप्टन सरीखे दिखने लगे हैंl फरवरी 2025 में दिल्ली विधान सभा के चुनाव होने हैं l अरविंद केजरीवाल के प्रति जन सहानुभूति जनता के मन से उतर चुकी है, हालांकि जेल जाने और जमानत पर बाहर आने के दौरान उन्होंने जन सहानुभूति पाने को बहुतेरे उपाय किए लेकिन कोई काम नहीं आए l 

लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटों पर अरविंद केजरीवाल को पराजय मिली, इनके हिस्से में चार सीटें थीं,  और कांग्रेस के हिस्से में तीन थीं लेकिन दोनों दलों के गठबंधन में केजरीवाल को उम्मीद थी कि उन्हें सहनुभूति का फायदा मिलेगा, पर ऐसा हुआ नहीं l इसी दौरान जनता ने इन्हें नकार दिया l 

इसके बाद हरियाणा में इन्हें तगड़ी मात मिली, एक- दो प्रत्याशियों को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई जबकि हरियाणा अरविंद केजरीवाल का गृह प्रदेश है l अब दिल्ली विधानसभा का चुनाव दो महीने दूर है और केजरीवाल के किसी भी विमर्श (नेरेटिव) बेअसर होता  दिख रहा है l उनकी राजनीति कट्टर ईमानदार से शुरू हुई और कट्टर बेईमान पर आकर फंस गई है l यदि कोर्ट में वह भ्रस्ट साबित हुए तो उनकी बाकी जिंदगी जेल में गुजरेगी और उनके दल की मान्यता खत्म हुई तो बाकी सहयोगी निर्दल प्रत्याशी बनने की स्थिति में भी नहीं रहेंगे l

देश में इससे बड़े घोटाले विभिन्न राज्यों में होते रहे हैं, लेकिन आरोपी मुख्यमन्त्री पहले अपने पद से इस्तीफे दिए फ़िर जेल गए, परंतु केजरीवाल मुख्यमन्त्री रहते जेल गए और वहीं से सरकार चलाने की कोशिश भी किए, शर्त पर जमानत से बाहर आए तो कोर्ट के प्रतिबंध के चलते केवल पद नाम से लाचार होकर उन्होंने इस्तीफा दिया और आतिशी को मुख्यमन्त्री बनाया l अब उम्मीद 2025 के विधान सभा चुनाव पर है l उन्होंने दो लिस्ट में ढाई दर्जन प्रत्याशी भी घोषित कर दिये हैं, लेकिन उनकी पार्टी छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत की पकड़ संगठन के साथ जनता में भी थी, उन्हें केजरीवाल जाने से नहीं रोक पाए l श्री गहलोत ने पार्टी छोड़ने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि 'शीशमहल' का फायदा न तो पार्टी को मिला और न खुद केजरीवाल को, बल्कि नुकसान सर्वाधिक हुआl

आगामी फरवरी में होने वाले विधान सभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल द्वारा 2020 के चुनाव में दिल्ली की जनता से किया गया एक 'वायदा' 2025 में उनपर ही भारी पड़ेगा, यह बात कैलाश गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कही थी l केजरीवाल ने भाषण में कहा था की 2025 तक यमुना का पानी प्रदूषित नहीं रहेगा और जल स्तर भी बढ़ा मिलेगा, यदि ऐसा न हुआ तो हमे एक भी वोट मत दीजिएगा l वर्तमान में यमुना का जल स्तर केजरीवाल के राजनीतिक पूंजी की तरह गिर चुका है, यमुना में प्रदूषण भी उसी तरह बढ़ा है जैसे उनकी राजनीति को लेकर अविश्वास बढ़ा है l

दरअसल केजरीवाल का चेहरा ही उनकी पार्टी और राजनीतिक स्थिति की गवाही दे रहा है l 2025 के विधान सभा चुनाव में विपक्षी पार्टियां उनके द्वारा 2020 में दिल्ली की जनता से किए गए वायदे वाला वीडियो जरूर वायरल करेंगी जो सोशल मीडिया में मौजूद है l  शायद यही सोचकर केजरीवाल के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं l निष्कर्ष यह कि 2025 का दिल्ली विधान सभा चुनाव अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा l

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