मोदी एक साथ 'दो पाकिस्तान' से लड़ते हुए विपक्ष के कास्ट सेंसस वाले मुद्दे की धार कुंद कर दिये!
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-28 सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 26 फरवरी 2019 में एयर स्ट्राइक से पाक के आतंकी शिविरों को भारतीय सेना ने ध्वस्त किया था, उसी सरप्राइज को याद कर दहशतगर्द पाकिस्तान 10 दिन से 'दहशत' में दिन गुजार रहाl
-इधर कांग्रेस समेत इंडी एलायंस के कई घटक दल केंद्र सरकार के 'जातीय जनगणना' वाले फैसले के बाद खुद श्रेय लेने की होड़ में जूझ रहे, फूट डालो- राज करो की नीति पर अंग्रेजों ने 'कास्ट सेंसस' आखिरी बार 1931 में कराया थाl
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कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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दिल्ली, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l कश्मीर घाटी के पहलगाम में हुई आतंकी घटना ने पाकिस्तान के चेहरे से नकाब उतार दिया, धर्म पूछकर 26 लोगों को मारने वाले आतंकियों ने अपना ठिकाना और धर्म तो बता दिया, लेकिन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का अंदाज़ वही पुराना सरप्राइज वाला हैl वह पूर्व की तरह देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित विकास आदि कार्यक्रमों शिरकत कर रहे हैं, जैसे देश में कुछ हुआ ही नहीं हैl इसी कड़ी में उनकी सरकार ने विपक्ष की वर्षों से चल रही 'जातीय जनगणना' की मांग को पूरी करते हुए जब फैसला सुनाया तो इंडी एलायंस के घटक दल श्रेय लेने को आपस में जूझ पड़े हैं, जबकि मोदी सरकार ने उनके संभावित बड़े मुद्दे की धार को इसी फैसले से कुंद कर दिया हैl
रहा सवाल पाकिस्तान पर अटैक का तो वह जिम्मेदारी सेना प्रमुखों को दे दी गई है, जाहिर है नया भारत बदला तो लेगा यह तय है, लेकिन कब, कैसे ? यह सैनिक ऐक्शन किसी देश में कोई सेना व सरकारें नहीं बताती हैं, लेकिन किस तरीके से मोदी बदला लेंगे इसे उनके सितम्बर 2016 और फरवरी 2019 में सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से समझा जा सकता हैl इसके अलावा बड़ा उदाहरण इजराइल- हमास युद्ध से लिया जा सकता हैl
राजनीतिक विश्लेषकों के नजरिये से 'कास्ट सेंसस' यानी जातीय जनगणना के मायने जानने के लिए अंग्रेजी शासन काल के इतिहास के पन्ने पलटने पड़ेंगेl क्योंकि देश की आज़ादी के बाद कांग्रेस सरकार ने हर दस साल में कुल पांच जनगणना कराई और भाजपा ने एक लेकिन किसी ने भी कास्ट सेंसस कराने की जरूरत नहीं समझी, अलबत्ता बिहार और कर्नाटक सरकारों ने कास्ट सर्वे जरूर कराया लेकिन उसकी रिपोर्ट देख खुद दंग रह गएl दरअसल 'जनगणना या जातीय जनगणना' का अधिकार केवल केन्द्र सरकार के पास ही होता हैl
जातीय जनगणना वर्ष 1881 में पहली बार अंग्रेजी शासन काल में 'फूट डालो और राज करो' वाली नीति पर शुरू हुई तब धर्म के आधार पर मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान भी इसी देश का हिस्सा थेl जाति विभाजन के मद्देनज़र 1901 की जनगणना में 1,646 और वर्ष 1931 की आखिरी जनगणना में 4,147 जातियाँ बताई गईं l अब यह संख्या बेतहाशा बढ़ी मिलेगीl आखिरी कास्ट सेंसस में अंतिम रिपोर्ट के तहत 52.4 फीसदी ओबीसी, 22.6 फीसदी एससी/एसटी, सवर्ण 17,6 प्रतिशत और अल्पसंख्यक समुदाय 16,2 फीसद थाl मण्डल कमीशन की रिपोर्ट इसी अविभाजित भारत के पुराने आंकड़े पर आधारित थी l अब जो मांग चल रही थी वह वोट बैंक हासिल करने की नीति 'जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी' से वोट की फसल काटने को कास्ट सेंसस पर सहमति जताने वाले दल उत्साहित हैंl
सेकुलरिज्म का कीड़ा बिलबिलाने लगा: पहलगाम की घटना के बाद सिंधु जल समझौते को रद्द करने, कूटनीतिक वार के साथ भारत से पाकिस्तानियों को निकालने और कश्मीर समेत राजधानी दिल्ली की झुग्गी झोपड़ी, अहमदाबाद, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में चल रहे अभियान से पाकिस्तान ही नहीं भारत के भीतर वैध, अवैध वीजा पर निवास करने वालों के साथ अपने दिमाग में सेकुलरिज्म का कीड़ा लिए घूमने वाले भी तिलमिला रहे हैंl भारतीय टैक्स पेयर के पैसे पर मिलने वाली सुविधाओं का सर्वाधिक लाभ यही छद्म पाकिस्तानी उठा रहे थेl इनके साथ वोट के लालची दल बांग्लादेशी व म्यामार के रोहिंग्या को भी बसाने और सुरक्षा देने वाले दलों की भी कलई खुलनी तय हैl
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो 22 अप्रैल को हुई पहलगाम की घटना केवल आतंकी नहीं, बल्कि पहली बार इसमें खुलकर जेहाद और धर्म सामने आयाl इसी दौरान पाकिस्तानी जनरल और उनके नेताओं के बयान से उनके ही चेहरे का नकाब उतर गयाl मोदी ने राजनीतिक, कूटनीतिक, डिजीटल, आर्थिक हमले तो घटना के दूसरे दिन ही शुरू कर दियाl उन्हें दुश्मन की कमजोरी और अपनी ताकत का एहसास पूरी तरह हैl वह पाकिस्तान को तिल- तिल कर मारने में लगे हैंl भारत की तरफ से सैनिक हमला होना तय माना जा रहा है, तब तक धैर्य रखना जरूरी हैl
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