शासनादेश पर कैरम खेल रहे बेसिक शिक्षा व्यवस्था के जिम्मेदार!
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-15 मिनट विलम्बित शिक्षकों को किया जाता है निलम्बित या एक दिन का कट जाता है वेतनl
-बीएसए ऑफिस और आवास की परिक्रमा करने वाले कथित शिक्षकों की मौजl
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-कैलाश सिंह-
विशेष संवाददाता
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वाराणसी/जौनपुर/लखनऊ, (तहलका न्यूज नेटवर्क)l शासन से फरमान चाहे जितना सख्त आये, इसके लिए जिम्मेदार उसे लागू अपने तरीके से करते हैं l प्रदेश भर में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की खस्ता हालत के लिए वही जिम्मेदार भी हैं जिन्हें शासनादेश लागू करने का जिम्मा मिला है l यह जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी और सम्बन्धित विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को मिली हैl इनमें से दो अधिकारियों के नजदीक रहने वाले शिक्षकों को विद्यालय जाने या पढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती है, उनकी हाजिरी जादुई तरीके से चलती हैl इसी तरह उनके परिजनों, रिश्तेदारों की भी विद्यालय गए बिना नौकरी चलती हैl इनमें से ही पुरस्कार के लिए संस्तुति की जाती हैl प्रदेश की राजधानी में इनके प्रपत्र भेजने को कथित माननीयों का सहमति पत्र भी शामिल कर लिया जाता है l यानी बेसिक शिक्षा की हिली नींव पर कैरम खेलते हैं ये जिम्मेदार, जो शिक्षक नियमित विद्यालय जाते हैं उन्हें कैरम की गोटी सरीखे इस्तेमाल किया जाता है l महीने में तमाम शिक्षकों के दो या तीन बार वेतन कटते हैं या उन्हें निलम्बित करके अलग वसूली की जाती है l जो शिक्षक परमानेंट विद्यालय नहीं जाते उनके लिए बम्पर विभागीय स्कीम चलती है l यदि शिक्षक नेता उनपर सवाल खड़े करते हैं तो उन्हें भी निलम्बन का शिकार होना पड़ता है l
इस एपिशोड में खस्ताहाल बेसिक शिक्षा व्यवस्था का मॉडल जौनपुर जिले से लिया गया है जो कमोबेश उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की स्थित को उजागर करने के लिए पर्याप्त है l इस जनपद में लगभग 2800 बेसिक स्कूल हैं और करीब 15 हजार शिक्षक तैनात हैंl इनमें शिक्षा मित्र भी शामिल हैं l जाहिर है हर स्कूल के हिसाब से प्रधानाचार्य हैं जिनमें से अधिकतर बीएसए व बीइओ के दबाव में काम करते हैंl इस जिले में 21 ब्लॉक हैं l हर ब्लॉक में एक खण्ड शिक्षाधिकारी तैनात हैं l उदाहरण के तौर पर अकेले बरसठी ब्लॉक में दो दर्जन से अधिक शिक्षक कभी स्कूल नहीं जाते हैं l उनके व विद्यालय के नाम देने पर रिपोर्ट लम्बी हो जाएगी l ये शिक्षक पुरोहित गैंग के लीडर की तरह हैं l विद्यालय न जाकर अन्य धंधों में मशगूल हैं, इनकी हाजिरी तीनों जिम्मेदार लोगों के कन्धों पर है l जाहिर है यहीं से सुविधा शुल्क शुरू होता है l लम्बी अवधि तक निलम्बित रहने वालों को फर्जी हलफनामे से आधा वेतन दिया जाता है, और उन्हें संबद्ध विद्यालयों में भी नहीं जाना पड़ता है l बहाली में आचरण, अनुशासन बेहतर दिखाकर बाकी वेतन का भुगतान कराकर उसमें से निर्धारित प्रतिशत में बंटवारा कर लिया जाता है l
इस रिपोर्ट में बानगी के तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग के उन तरीकों का हवाला दिया गया है जिसके चलते परिषदीय विद्यालयों की नींव हिली हुई है l सच तो ये है कि तमाम विद्यालयों में मिड डे मील के लिए पंजीकृत फर्जी छात्र संख्या दरशाई गई है l इसी आंकड़े पर कैरम खेला जा रहा है l मडियाहूं तहसील के ही एक ब्लॉक के एक विद्यालय के हेड मास्टर ने उसी के बगल में अपना निजी विद्यालय खोलकर सभी सरकारी सुविधा लेते हैं और अपने स्कूल में उन्हीं बच्चों से फ़ीस वसूलते हैं l मिड डे मील के दौरान सैकड़ों छात्र दिखते हैं, बाकी समय विद्यालय सूना रहता है l इस तरह के कार्य भी बिना जिम्मेदारों की मिली भगत के क्या संभव है? ऐसे ही सवाल अभिभावकों को मथते हैं, तभी वह लाचार ''हिंग्लिश' स्कूलों में अपने बच्चों को भेजते हैं l
जौनपुर के पुरोहित गैंग का लीडर जो ढाई दशक से बेसिक शिक्षक है लेकिन स्कूल भवन उसने कभी नहीं देखा l वह कथित पत्रकार का लबादा ओढ़कर होर्डिंग बैनर के व्यवसाय कर रहा हैl वह नेता बनने आये लक्ष्मी पुत्रों का सिर मूड़ता है और हमजातीय संगठन के जरिये मसाज पार्लर व अन्य धंधों को संचालित करता हैl,,,,, क्रमशः
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