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 'एक देश- एक चुनाव' का बिल नये अमलीजमा में पुराना कानून


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-देश की आजादी के बाद लगातार चार आम चुनाव हुआ, इसके बाद थमा सिलसिला, अब फ़िर शुरू करने जा रही मोदी सरकार l

-एक देश-एक चुनाव का 'बिल' संसद में आने से विपक्षी गठबंधन में घबराहट, आमजन में राहत , अब जेपीसी करेगी विचार l

-इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर उठे सवाल पर सहयोगी दल राहुल गाँधी के मुद्दे से कन्नी काटने लगे l गठबंधन टूटने की गवाह बनेगी यूपी की जमीन ! 

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-कैलाश सिंह-

राजनीति संपादक

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लखनऊ/ नई दिल्ली (तहलका न्यूज नेटवर्क)l शीतकालीन सत्र में 17 दिसम्बर मंगलवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी की सरकार ने 'एक देश- एक चुनाव' को लेकर संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जो वोटिंग के जरिये बहुमत से पेश हो गयाl इसे विचार विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया, वहां से पास होने पर फिर इस बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा l इस बीच राहुल गाँधी के अडानी मुद्दे से इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल किनारा करते नज़र आये l उनकी नज़र में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे अहम हैं l दरअसल कई प्रांतों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर दरार पड़ चुकी हैl कई विपक्षी पार्टियों के मुखिया तो ममता बनर्जी के नाम पर सहमति जताकर राहुल गाँधी के नेतृत्व को एक तरह से खारिज कर दिए हैं l

एक देश- एक चुनाव के बिल का विरोध करने वाले विपक्षी दलों को कई तरह की घबराहट में एक  ये है कि इसके लागू होने से क्षेत्रीय दल समाप्त हो जाएंगे l भाजपा राष्ट्रीय मुद्दे के बल पर लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय और पंचायतों में जीत हासिल कर लेगी ! जबकि आम चुनाव से आमजन के लिए राहत वाली खबर है l छात्रों, प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वालों, सुरक्षा से लेकर अन्य कर्मियों तक को राहत और देश भी बार- बार के अनर्गल चुनावी खर्च से बचेगा l राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि आम चुनाव होता है तो जिस दल के पास मजबूत नेतृत्व क्षमता होगी उसे कोई नहीं हरा सकता है, वह चाहे क्षेत्रीय पार्टी हों या राष्ट्रीय दल l

दरअसल मोदी सरकार ने यह बिल लाकर कोई नया काम नहीं किया है l इससे पहले चार बार 1952, 1957, 1962 और 1967 में आम चुनाव हो चुके हैंl  मोदी सरकार ने तो यह बिल लाकर पुराने कानून को फ़िर से अमलीजामा पहनाने का काम किया है, फ़िर भी विचार- विमर्श के लिए इसे जेपीसी के पास भेजा है l कमेटी से पास होकर आने के बाद यह बिल अगले संसदीय सत्र में फ़िर लोकसभा और राज्य सभा में पेश होगाl 

इधर अब विपक्षी इंडिया गठबंधन में हो रही 'टूट' राजनीतिक विश्लेषकों की नज़र में विकराल रूप लेती जा रही है l इसकी नींव तो उत्तर प्रदेश की नौ विधान सभा सीटों पर हुए उप चुनाव में तब पड़ गई जब सपा सात सीटों पर हार गई l यहां गठबंधन में रहते हुए किसी सीट पर चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं थे, लेकिन इस पार्टी ने प्रचार में सपा का साथ नहीं दियाl यहां की कुंदरकी विधानसभा सीट पर जहां 65 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं फ़िर भी बीजेपी को 1.44 लाख वोट से मिली जीत ने इतिहास रच दिया l सम्भल में हुए दंगे के बाद कांग्रेस- सपा दोनों दल मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने के लिए होड़ मचा दिये l इससे पूर्व हरियाणा और बाद में महाराष्ट्र में मिली हार ने विपक्षी दलों की राहों को जुदा कर दियाl

इंडिया गठबंधन में राहुल गाँधी के नेतृत्व के विरोध को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी के मुखर होते ही लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे के बयान के मद्देनज़र गठबंधन में दरार बढ़ने से यही संकेत मिल रहे हैं कि इसके टूटने के दिन करीब आते जा रहे हैं l 

इसी क्रम में बृहस्पतिवार को संसद भवन कैंपस में हुई धक्का- मुक्की में भाजपा के दो सांसद जख्मी हो गए तो पार्टी ने इलाज के साथ मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर राहुल गाँधी के खिलाफ़ चोट पहुंचाने और धमकाने का केस दर्ज करा दिया, जो इस शीतकालीन सत्र और राहुल गाँधी के लिए पहली ऐसी घटना साबित हुईl मुकदमा चलने पर दो साल से अधिक सजा हुई तो इसमें उनकी संसद सदस्यता और नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर आंच आने की संभावना प्रबल हो गई हैl

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